भारत जिसकी दरिद्रता का करते हो तुम अब उपहास, 

वहीं कहीं मैंने देखा था मौर्य वंश का वैभव विकास! 


राम, तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है।

कोई कवि बन जाय, सहज संभाव्य है।


भारतीय संस्कृति के व्याख्याता, अपनी रचनाओं से जन-जन में राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार करने वाले महान लेखक व राष्ट्रकवि एवं पद्म भूषण से सम्मानित मैथिलीशरण गुप्त जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन।

आपकी कविताएं एवं रचनाएं आने वाली पीढ़ीयों का सदैव मार्गदर्शन करेगी और उन्‍हें राष्‍ट्र हित में कार्य करने के लिए प्रेरित करेगी।

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टीम -


विश्व मौर्य परिषद भारत