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चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य जी का जन्म बहुत ही भयंकर परिस्थितियों में हुआ आइये जानते हैं

भारत का सबसे शक्तिशाली गणराज्य पिपली वन मोरिय मौर्य गणराज्य  





यह पूरा लेख महाराज चंद्रवर्धन मौर्य के बारे में व सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की जन्म के बारे में और तो और महापदम नंद की कायरता के बारे में और धनानंद की कायरता के बारे में पूरा रिसर्च के साथ लिखा गया है, 👇

 महाराज चंद्रवर्धन मौर्य का साम्राज्य ही भारत का सबसे शक्तिशाली गणराज्य था


आज बात करेंगे 381 ईसवी पूर्व की उसे समय भारत 500 टुकड़ों में बात हुआ था उन 500 टुकड़ों में से एक सबसे शक्तिशाली राज्य था जिसका नाम था पिपली वन मोरिय मौर्य गणराज्य जो वर्तमान में बस्ती संत कबीर नगर गोरखपुर देवरिया इत्यादि उस समय पिपली वन मोरिया मौर्य गणराज्य का हिस्सा था,,! जहां के राजा महाराज चंद्रवर्धन मौर्य थे, 

महापद्म नंद मगध के राजा का दुख 


 और एक राज्य था मगध वहां का राजा कायर महापदम नंद नाई था और महापदम नंद ने अपने आसपास के सभी राज्यों को अपने अधीन कर लिया परंतु मोरिय मौर्य गणराज्य को वह कभी नहीं जीत पाया |
 358 ईसवी पूर्व में एक दिन ऐसा समय आया कि जब कायर महापदम नंद एकदम उदास बैठा हुआ था तब उसका पुत्र धनानंद उससे पूछा पिताजी क्यों आप उदास हैं? तब महापदम नंद कहता है पुत्र हमने आसपास के सभी राज्यों को जीत लिया है परंतु मोरिय मौर्य गणराज्य मै आज तक नहीं जीत पाया मैंने बहुत प्रयास किया मोरिय मौर्य गणराज्य को जीतने के लिए परंतु बार-बार वहां के मौर्य लोगों से हमें हर का सामना करना पड़ा,
 तब धनानंद कहता है पिताजी बस इतनी सी बात मैं उस गणराज्य को जीत कर दिखाऊंगा

और धनानंद भी मोरिय मौर्य गणराज्य को छल कपट कायरता से जीतता है 


 और धनानंद ने भी लगातार 8 साल तक पिपली वन मोरिय मौर्य गणराज्य पर आक्रमण किया परंतु धनानंद को हर बार हार का ही सामना करना पड़ा | फिर 350 ईसवी पूर्व दिन शनिवार बैशाख मास था उस दिन कायर धनानंद ने मोरिय मौर्य गणराज्य को जीतने के लिए छल कपट से भरा हुआ एक योजना बनाता है और मोरिय मौर्य गणराज्य के राजा महाराज चंद्रवर्धन मौर्य का प्रतिमा  200 फीट ऊंचा बनावत है जो प्रतिमा अंदर से खोखली रहती है जिसमें धनानंद के 1000 सैनिक उसे प्रतिमा के अंदर रहते हैं | और पिपली वन मोरिया मौर्य गणराज्य के मुख्य दुर्ग (द्वार) पर पहुंच जाता है महाराज चंद्रवर्धन मौर्य का 200 फीट ऊंचा प्रतिमा लेकर और दूर से ही श्वेत (सफेद) ध्वज लहराने लगता है और कहता है महाराज चंद्रवर्धन मौर्य जी मैं आपसे अब युद्ध नहीं करना चाहता हूं मैं आपके सामने हार स्वीकार करता हूं और आपके लिए मैं एक भेंट लेकर आया हूं इसे स्वीकार करें और हमें अपना मित्र बनाएं| फिर राजा चंद्रवर्धन मौर्य अपने मंत्री को निर्देशित करते हैं मंत्री जाओ और मुख्य द्वार खोलो और वह हमसे मित्रता करना चाहता है| मंत्री आकर दरवाजा खोल देता है और महाराज चंद्रवर्धन मौर्य अपनी प्रतिमा धनानंद से भेंट रूप में पाकर काफी प्रफुल्लित होते हैं और एक दूसरे से गले मिलते हैं और फिर अपने-अपने राज्य को वापस लौट जाते हैं जैसे ही रात होती है तो जो प्रतिमा के अंदर धनानंद के 1000 सैनिक छिपे रहते हैं वह जाकर के आधी रात में मुख्य दुर्ग खोल देते हैं और धनानंद इधर पहले से ही अपने सैनिकों को लेकर खड़ा रहता है और जैसे ही में दुर्ग (द्वार) खुलता है कायर धनानंद के सैनिक अंदर घुस जाते हैं और सबको मारना काटना चालू करते हैं| उस रात मोरिय मौर्य गणराज्य के सभी सैनिक मारे जाते हैं मंत्री संत्री मारे जाते हैं और महाराज चंद्रवर्धन मौर्य को कायर धनानंद बंदी बना लेता है| और उस समय महाराज चंद्रवर्धन मौर्य की पत्नी महारानी मुरा देवी गर्भ से थी  और उस गर्भ में चंद्रगुप्त मौर्य थे यानी अखंड भारत का सूर्य मौर्य कुल का दीपक,

जब पिप्पली वन मोरिय मौर्य गणराज्य की महारानी मुरा देवी अखंड भारत का सूर्य व मौर्य कुल मौर्य राजवंश के राजकुमार चन्द्रगुप्त मौर्य को बचाने के लिए किया भयंकर संघर्ष व त्याग 


 महारानी मुरा देवी अपने बच्चे को बचाने के लिए महल के पीछे से एक नदी बहती है उस नदी में कूद जाती हैं ताकि धनानंद के सैनिक उनको ना पकड़ सके और मोरिय मौर्य गणराज्य का कुल दीपक उत्तराधिकारी सुरक्षित रहे,..
 फिर भी कायर धनानंद के सैनिक महारानी मुरा देवी का पीछा कर लेते हैं महारानी मुरा देवी भागते हुए पाटलिपुत्र के एक जंगल में पहुंच जाती हैं उस जंगल में एक छोटा सा गांव था जहां पर सभी लोग पशुपालन करते थे गाय भैंस इत्यादि, महारानी मुरादेवी जब उस गांव में पहुंचती हैं तो उस रात बहुत ही थक जाती हैं और गाय भैंसों के बीच में छुप जाती हैं 

सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म एक दैविक घटना 





वह दिन था बुधवार 350 ईसवी पूर्व रात में जैसे ही 11:00 बजता है  आसमान में घनघोर बिजली तड़कने लगती है काले काले बादल छा जाते हैं आंधी तूफान आ जाता है समुद्र में लहरें उठने लगती हैं नदियां उफान पर आ जाती हैं, और जैसे ही मध्य रात्रि होती है अर्थात 12:00 बजने की उपरांत होता है दिन बृहस्पतिवार (गुरुवार) प्रारंभ होता है  वैशाख का महीना था कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी  थी पुष्य नक्षत्र में जैसे ही चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म होता है उसे समय आसमान एकदम साफ हो जाता है बिजली कड़कना बंद हो जाता है आंधी तूफान थम जाते हैं समुद्र की लहरें बैठ जाती हैं नदियां एकदम शांत हो जाती हैं चंद्रमा एकदम सिरहाने पर एकदम ऊपर होता है तब महारानी मुरा देवी ऊपर देखती हैं आसमान में चंद्रमा सीधे एकदम दिखाई देता है तब महारानी मुरा देवी कहती हैं इस चंद्र को गुप्त रखना होगा जब तक यह बड़े नहीं हो जाते,,,.... तो वहीं से चंद्रगुप्त नाम पड़ा,,,!

 इस प्रकार बहुत ही कष्ट और बहुत ही संघर्ष के बाद भारत यानी अखंड भारत का सूर्य मौर्य राजवंश का कुल दीपक वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पुष्य नक्षत्र में जन्म लेता है,

- श्री सर्वेश कुमार मौर्य ✍️ 02/05/2024✍️
- राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व मौर्य परिषद 

और जानकारी दूसरे भाग में जानने को मिलेगी तब तक बने रहिए विश्व मौर्य परिषद के साथ और हां विश्व मौर्य परिषद को फेसबुक ट्विटर यूट्यूब पर फॉलो करना ना भूले 

विशेष सुचना 





 इस प्रकार से वर्तमान में विश्व शासक अखंड भारत के संस्थापक चक्रवर्ती चंद्रगुप्त मौर्य जी का 2374 वां जन्मोत्सव जन्म जयंती अंतरराष्ट्रीय महोत्सव है, बैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 7 मई 2024 दिन मंगलवार को है,,,,!
 परंतु कुछ देशद्रोही लोग समाज द्रोही लोग  कुछ नीच लोग समाज को भ्रमित करने के लिए समाज को तोड़ने के लिए सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का जन्मदिन वैशाख कृष्ण पक्ष की अष्टमी में बता रहे हैं और मनाये भी हैं जो 1 मई को था | 
 लेकिन मौर्य समाज के लोगों को मैं बताना चाहता हूं सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य जी का जन्म वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में हुआ था जो 7 मई 2024 दिन मंगलवार को पड़ रहा है |

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- सर्वेश कुमार मौर्य ✍️ 02/05/2024
- राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व मौर्य परिषद 
 विशेष सूचना : यह लेख विश्व मौर्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सर्वेश कुमार मौर्य जी ने बहुत ही रिसर्च के बाद लिखा है | 
 अगर इस लेखनी को कॉपी करके कोई इसमें फेर बदल करता है और ऐसा करते पाया जाता है तो उसके ऊपर कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत कानूनी विधिक कार्रवाई की जाएगी,,!

आज्ञा से : विश्व मौर्य परिषद इकाई भारत
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