चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का बचपन एवं राज्याभिषेक
चन्द्रगुप्त मौर्य का बचपन से विष्णुगुप्त मौर्य (चाणक्य) का सामना
सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य बचपन से ही एक बहादुर और समझदार नेता थे| रहेंगे क्यों नहीं क्योंकि वह पिप्पलिवन मोरिय गणराज्य के राजकुमार जो थे। उन्होंने स्वयं एक खेल की रचना की जिसमे वह स्वयं राजा बनते थे और अपने दोस्तों के समस्या का हल निकालते थे, उसी खेल को खेलते समय आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य जी (चाणक्य) ने पहली बार सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य को देखा था. और तब आचार्य जी ने सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के आंखों में भारत के भव्य रूप का वजूद देखा अखंड भारत के निर्माण का साहस देखा।
विष्णुगुप्त मौर्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच प्रथम वार्ता
महत्वपूर्ण:
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ई. पूर्व में मौरिय अथवा मौर्य वंश के क्षत्रिय कुल में पिप्पलिवन मोरिय गणराज्य के राजघराने में हुआ था। बता दें कि सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य सम्राट होने के साथ ही पूरे भारत को अखंड भारत बनाने वाले व उस पर शासन करने वाले भी पहले चक्रवर्ती सम्राट व पूरे विश्व के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट थे।
चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता को कायर धनानंद ने धोखे से मारा
आपको बता दूं, कायर धनानंद ने मोरिय गणराज्य पर धोखे से आक्रमण करके वहाँ के राजा यानि चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता को धोखे से मार दिया था तब चन्द्रगुप्त मौर्य गर्भ में थे तब वहाँ से चन्द्रगुप्त मौर्य की माता जैसे जैसे स्वयं को बचाकर निकली उसके कुछ दिन बाद एक जंगल में चरवाहों के बीच चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म होता है।
तदोपरांत चन्द्रगुप्त मौर्य जब नौ वर्ष के थे तब कायर धनानंद ने चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने ही उनकी माता का गला काट कर हत्या कर देता है।
वो समय आ गया जब चन्द्रगुप्त मौर्य बन गए चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य
इनका बचपन जहां एक तरफ बहुत ही गरीबी में बीता तो वहीं दूसरी तरह मां बाप के साये से भी दूर थे। यानि जन्म से पहले ही पिता की मौत हो गई तो जन्म के कुछ सालों बाद माता की मौत हो गई थी, जिसकी वजह से इन्हे न जाने कितनी असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा था, लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी बल्कि अपने पिता और माता के प्रतिशोध के लिए हमेशा खड़े थे। जो आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य जी (चाणक्य) ने सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की आंखों में भारत का वजूद अखंड भारत का निर्माण देखा था तो सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने उसको पूरा किया एवं भारत को अखंड भारत के रूप में पुनः स्थापित किया एवं भारत को सोने की चिड़िया भी बनाया।
और हाँ
इसलिए कहते हैं कि मान लो तो हार है, ठान लो तो जीत है,, यही मानव की प्रवृत्ति है, ।
✍️स्वलेखन सर्वेश कुमार मौर्य✍️
✍️विश्व मौर्य परिषद ✍️
धन्यवाद🙏💕 सनातन परिवार/मौर्य परिवार👨👦👧👩👴👵
प्रिय पाठकों
उम्मीद करता हूँ आप सभी को चन्द्रगुप्त मौर्य व आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य के बारे कुछ नया जानने को मिला होगा। और यदि लिखने में हमसे कुछ त्रुटि हुई हो तो हम उसके लिए क्षमता चाहेंगे। आप लोगो को कैसा लगा कमेंट करके अपना सुझाव अवश्य प्रदान करें आपका सुझाव हमारे लिए बहुमूल्य रहेगा।
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