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चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का बचपना एवं राज्याभिषेक

चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का बचपन एवं राज्याभिषेक 

इस लेख के माध्यम से हम अपने प्रिय पाठकों के लिए सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के बारे में कुछ अनसुनी बातों को लिखा हूँ। और ऐसी जानकारी संभवतः ही कहीं मिले जो इस लेख में आपको बताया जा रहा है। और हा यह लेख एक व्यक्ति का अनुभव है इस लेख से हमारा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है कि हम किसी को आहत या ठेंस पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं है। बाकी जानकारी आप विस्तार से पढ़े। 

 चन्द्रगुप्त मौर्य का बचपन से विष्णुगुप्त मौर्य (चाणक्य) का सामना

सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य बचपन से ही एक बहादुर और समझदार नेता थे| रहेंगे क्यों नहीं क्योंकि वह पिप्पलिवन मोरिय गणराज्य के राजकुमार जो थे। उन्होंने स्वयं एक खेल की रचना की जिसमे वह स्वयं राजा बनते थे और अपने दोस्तों के समस्या का हल निकालते थे, उसी खेल को खेलते समय आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य जी (चाणक्य) ने पहली बार सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य को देखा था. और तब आचार्य जी ने सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के आंखों में भारत के भव्य रूप का वजूद देखा अखंड भारत के निर्माण का साहस देखा। 


Samraat chandragupta Maurya & aacharya vishnugupta Maurya (chaanakya) 


विष्णुगुप्त मौर्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच प्रथम वार्ता

पत्थर की राजगद्दी पर बैठे सम्राट अर्थात बालक चन्द्रगुप्त मौर्य को सभी के समस्याओं को सुनकर उन समस्याओं का निवारण करते हुए देख आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य ने सोचा चलो इस बालक की परीक्षा लेते हैं फिर क्या था आचार्य जी बालक चन्द्रगुप्त मौर्य के पास गये और बोले हे राजन मैं एक संत हू और हमें बहुत जोरों की भूख लगी है और इस भूखे संत को कुछ खाने को मिल जाये तो आपकी महान कृपा होगी। 
बालक चन्द्रगुप्त मौर्य ने कहा बस इतनी सी बात तो आचार्य जी ने कहा हां राजन हमें बहुत देर से भूख लगी। फिर चन्द्रगुप्त मौर्य ने हाथ से इसारा करते हुए कहा कि हे संत पुरुष ये जितनी भी गइया (गाय) आप देख रहे हैं वहां जाइए उनसे दूध पी लीजिए तो आचार्य जी ने कहा कि हम गायों के पास जायें और गाय हमे मारने लगे तो, तो चन्द्रगुप्त ने कहा हमारा नाम बता देना कोई गइया आपको नही मारेंगी फिर आचार्य जी ने कहा नाम बताने के बाद भी मारने लगी तो तब आचार्य जी के मुख से इतना बता सुनते ही बालक चन्द्रगुप्त मौर्य सिंहासन से उठ जाते हैं और दहाड़ते हुए स्वर में कहते हैं कि किसका इतना दुस्साहस जो महाराज चन्द्रगुप्त मौर्य के आज्ञा की अवज्ञा करे आप जाइए संत पुरुष बिना संकोच ये महाराज चन्द्रगुप्त मौर्य का आदेश है आपको कोई गाय नहीं मारेंगी। हमारे राज्य में सब एक दूसरे के प्रति उदार इमानदार व अपने राजा के प्रति कृतज्ञ एवं आज्ञाकारी हैं चाहे वह जीव जंतु पशु पक्षी पेंड़ पौधे , मनुष्य इत्यादि सभी 
इतना सुनते ही आचार्य जी को ये सुनिश्चित हो गया कि यही है मौर्य वंश का सूर्य एवं अखंड भारत के भावी सम्राट👑

महत्वपूर्ण:

सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ई. पूर्व में मौरिय अथवा मौर्य वंश के क्षत्रिय कुल में पिप्पलिवन मोरिय गणराज्य के राजघराने में हुआ था। बता दें कि सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य सम्राट होने के साथ ही पूरे भारत को अखंड भारत बनाने वाले व उस पर शासन करने वाले भी पहले चक्रवर्ती सम्राट व पूरे विश्व के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट थे। 


चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता को कायर धनानंद ने धोखे से मारा

आपको बता दूं, कायर धनानंद ने मोरिय गणराज्य पर धोखे से आक्रमण करके वहाँ के राजा यानि चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता को धोखे से मार दिया था तब चन्द्रगुप्त मौर्य गर्भ में थे तब वहाँ से चन्द्रगुप्त मौर्य की माता जैसे जैसे स्वयं को बचाकर निकली उसके कुछ दिन बाद एक जंगल में चरवाहों के बीच चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म होता है। 

तदोपरांत चन्द्रगुप्त मौर्य जब नौ वर्ष के थे तब कायर धनानंद ने चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने ही उनकी माता का गला काट कर हत्या कर देता है। 


वो समय आ गया जब चन्द्रगुप्त मौर्य बन गए चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य

इनका बचपन जहां एक तरफ बहुत ही गरीबी में बीता तो वहीं दूसरी तरह मां बाप के साये से भी दूर थे। यानि जन्म से पहले ही पिता की मौत हो गई तो जन्म के कुछ सालों बाद माता की मौत हो गई थी, जिसकी वजह से इन्हे न जाने कितनी असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा था, लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी बल्कि अपने पिता और माता के प्रतिशोध के लिए हमेशा खड़े थे। जो आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य जी (चाणक्य) ने सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की आंखों में भारत का वजूद अखंड भारत का निर्माण देखा था तो सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने उसको पूरा किया एवं भारत को अखंड भारत के रूप में पुनः स्थापित किया एवं भारत को सोने की चिड़िया भी बनाया। 

और हाँ

इसलिए कहते हैं कि मान लो तो हार है, ठान लो तो जीत है,, यही मानव की प्रवृत्ति है, । 

✍️स्वलेखन सर्वेश कुमार मौर्य✍️

✍️विश्व मौर्य परिषद ✍️

धन्यवाद🙏💕 सनातन परिवार/मौर्य परिवार👨👦👧👩👴👵

प्रिय पाठकों

उम्मीद करता हूँ आप सभी को चन्द्रगुप्त मौर्य व आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य के बारे कुछ नया जानने को मिला होगा। और यदि लिखने में हमसे कुछ त्रुटि हुई हो तो हम उसके लिए क्षमता चाहेंगे। आप लोगो को कैसा लगा कमेंट करके अपना सुझाव अवश्य प्रदान करें आपका सुझाव हमारे लिए बहुमूल्य रहेगा। 



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