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आजकल किसी से बात करने का जी नहीं करता, कुछ लोग तो घमंडी भी समझते हैं,

 आजकल किसी से बात करने का जी नहीं करता,

कुछ लोग तो  घमंडी  भी समझते हैं,


फिर भी किसी की परवाह करने का जी नहीं करता ।

आजकल किसी से बात करने  का जी नहीं करता।

खुद में ही खोई रहती हूं ,

कि मैं कौन हूं? 

मेरी जिंदगी में बाधाएं, इतनी क्यू हैं?

मेरी मंजिल क्या है?

मुझे  इतना दुःख क्यू है?

क्या मेरा खुद का उपजाया तो नहीं हैं?

इसी उधेड़बुन में हूं ,

इसलिये किसी से बात करने.........

हालात कैसे हैं ये, अड़चनें कैसी हैं?

क्यूं किसी को जज़्बात दिखाने का जी नहीं करता ।

आजकल किसी से......

जब अपने ही झूठ से भरें हों 

जब पैसा ही रिश्तों से परे हो,

बनावटी बातें ,सिर्फ मुझे बोर ही करती हैं,

इसलिए किसी गैर पर विश्वास करने का  जी नहीं करता।

आजकल..


- सर्वेश कुमार मौर्य

I don't feel like talking to anyone these days.


 Some people consider it too arrogant.


 Still, he doesn't seem to care about anyone.


 Nowadays, I don't feel like talking to anyone.


 I am lost in myself


 that who am i?


 Why are there so many obstacles in my life?


 what is my destination?


 Why am I so sad?


 Have I not grown my own?


 I'm in this mess


 So talk to someone.........


 How are the conditions, what are the obstacles?


 Why doesn't he want to show emotion to anyone?


 Somebody nowadays......


 when filled with your own lies


 When money is beyond relationships,


 Fake things only bore me


 That's why he doesn't want to trust anyone.


 nowadays..



 - Sarvesh Kumar Maurya

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