#मेरा_कविता
#मेरी_कल्पना
नील गगन के तले बसा है,
पर्वत की ये गोद लसा है!
ले मंगल फैली हरियाली,
होती जहाँ पे रोज दिवाली!
है इतना प्यारा गाँव हमारा,
देव स्वर्ग से नयन निहारा!
तन-मन को हर्षित कर देता,
अपनी गोदी पीड़ा हर लेता !
ले सुबह सुहानी सूरज आता,
पुलकित हर हिय कर जाता!
अपने गाँव पे बलि-बलि जाऊँ,
इसकी मिट्टी खुशी जो पाऊँ !
स्वर्ग से सुन्दर गाँव हमारा,
पाया सुख माँ गोदी सा प्यारा!
इसी ठाँव हर बार जनम हो,
सदा लिखा प्रभु यही करम हो!
स्वरचित
सर्वेश कुमार मौर्य ✍️
०१/०८/२०२२
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